पुरानी बस्ती के व्यवसाई ने किया सौ करोड़ के नकली दवाओं का कारोबार
- Posted By: Tejyug News LIVE
- क्राइम
- Updated: 30 April, 2025 19:55
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पुरानी बस्ती के व्यवसाई ने किया सौ करोड़ के नकली दवाओं का कारोबार
-यह कारोबारी जिन मल्टीनेशनल कंपनियों का कारोबार करता, उस कंपनी का रैपर बनाकर पूरे मंडल में नकली दवाएं बेच रहा
-इस नकली दवाओं के कारोबार में नामचीन नर्सिगं होम के डाक्टर और प्रोपराइटर शामिल, नकली दवा लिखने के नाम पर सौ डाक्टरों को सौ मंहगी कार और दो सौ मोटर साइकिल गिफट में दे चुका
-मौत के सौदागर इस फर्म के मालिक का पचपेड़िया रोड पर नकली दवा बनाने वाली फैक्टी
-दिल्ली से इसकी दस शिकायतें और जांच के आदेश हो चुके लेकिन हर बार यह डीआई और डीएलए के चलते बचता आ रहा
-आईएमए और दवाओं का कारोबार करने वाले संगठन के पदाधिकारियों पर भी सवाल उठ रहा, इन सभी की जानकारी हो रहा नकली दवाओं का कारोबार
-नकली दवाओं के पैसे से खलीलाबाद में करोड़ों रुपये का तीन सितारा होटल खड़ा कर दिया
बस्ती। आज हम आपको पुरानी बस्ती के एक ऐसे नामचीन दवा कारोबारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो नकली दवाओं का न सिर्फ कारोबार करता है, बल्कि नकली दवा भी बनाता। पिछले लगभग ढ़ाई सालों में इसने सौ करोड़ से अधिक नकली दवाओं का कारोबार पूरे मंडल में किया। यह उन मल्टीनेशनल कंपनियों के दवाओं का नकली रैपर और नकली दवा बनाता, जिसका यह कारोबार करता। दवा बनाने की इसकी नकली फैक्टी पंचपेड़िया रोड पर स्थित है। मौत के इस सौदागर के भागीदार मंडल के लगभग दो सौ से अधिक नर्सिंग होम एवं क्लीनिक वाले और दवा कारोबारी है। नकली दवा बेचने के नाम पर अब तक यह सौ से अधिक डाक्टरों को चार पहिया महंगी कार और दो सौ से अधिक मोटरसाइकिल उपहार में दे चुका है। इस कारोबारी की दिल्ली से लगभग दस बार षिकायत और जांच के आदेष हो चुके हैं, लेकिन हर बार यह पैसे के बल पर बचता आ रहा है। डीआई और डीएलए इसकी कठपुतली बने हुए है। हर षिकायत पर दिखाने के लिए एक-दो नमूना लेने चले जाते है। डीआई और डीएलए की जानकारी में यह नकली दवाओं का कारोबार बिना रोक टोक के पिछले लगभग ढ़ाई साल से चल रहा। मौत के इस सौदागर कहे जाने नामचीन दवा कारोबारी ने खलीलाबाद में तीन सितारा होटल खड़ा किया। यह न सिर्फ नकली दवाओं का कारोबार कर रहा है, बल्कि जीएसटी और इंकम टेैक्स की बड़े पैमाने पर चोरी भी कर रहा है। अनेक दवा कारोबारी कहते हैं, कि इसके महल की बुनियाद ही चोरी के गारे मिटटी से खड़ी है। इस अवैध कारोबार को लेकर दवा विक्रेता संघ के पदाधिकारी और आईएमए की खामोशी पर सवाल उठ रहे है। संघ के पदाधिकारियों को अच्छी तरह मालूूम हैं, कि कौन नकली दवाओं का कारोबार कर रहा है, और उसका जाल कहां-कहां तक फैला हुआ, यहां तक कि नकली दवा की फैक्टी के बारे में भी इन्हें मालूम है। बोल इस लिए नहीं रहे हैं, क्यों कि इन्हें डर है, कि अगर कहीं बोले तो डीआई और डीएलए के निशाने पर न आ जाए। देखा जाए तो नकली दवाओं के बढ़ते कारोबार के लिए संघ के पदाधिकारी भी एक तरह से जिम्मेदार है। इनकी दुकानों से नकली दवाएं बिकती है, और यह खामोश हैं, इस अवैध और जानलेवा कारोबार में इनकी भी संलिप्ता से इंकार नहीं किया जा सकता। यह लोग अपने लोगों के हितों के लिए सड़क पर तो उतर हैं, लेकिन नकली दवाओं के कारोबार और कारोबारी के खिलाफ क्यों नहीं सड़क पर उतरते? इन्हें तो नैतिकता और मरीज हित को देखते हुए खुलकर विरोध करना चाहिए। सच तो यह है, कि संघ के पदाधिकारी नकली दवाओं का कारोबार करने वाले से डरते हैं। इस मामले में आईएमए के पदाधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, इस लिए नहीं निभा रहे हैं, क्यों कि इस कारोबार में उनके सदस्य भी शामिल रहते है। अगर कोई नामचीन डाक्टर मंहगी कार और पैसे के लालच में नकली दवा लिखकर मरीजों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करते हैं, तो इसे क्या माना जाए। कुछ लोग भगवान का दर्जा तो पहले ही खो चुके हैं, अब नैतिकता भी खोते जा रहे है। नकली दवाओं के इस कारोबार में ऐसे-ऐसे नामचीन डाक्टर के शामिल होने की चर्चा हो रही हैं, जिन्हें भगवान ने इतनी दौलत दी है, कि उनके सात पुष्त नहीं बल्कि अगर 14 पुष्त भी आराम से खाए और रहे तो भी समाप्त नहीं होगा। पैसे की भूख ने लालची किस्म के डाक्टर और दवा विक्रेता अपनी जमीर तक बेचने को तैयार रहते है। शिकायतकर्त्ता का दावा है, कि अगर इनके उन बिलों की जांच हो जाए जो इन्होंने बाहर दवाओं की आपूर्ति की है। तो सारे राज पर से पर्दा उठ जाएगा, नामचीन कारोबारी का चेहरा दुनिया के सामने आ जाएगा। रही बात डीआई और डीएलए की तो इनकी रोजी रोटी नकली दवाओं का कारोबार वालों के रहमोकरम पर टिकी है। अब तक जितने भी डीआई और डीएलए हुए सभी मौत के सौदागर के यहां दरबारी करते रहे। प्रशासन को इस संवेदनषील मामले में पहल करनी चाहिए। नेटवर्क को नेस्ताबूत कर देना चाहिए। क्यों कि नकली दवाओं से अब तक न जाने कितने की जिंदगियां चली गई। सोशल मीडिया में खबरे आने के बाद जो जानकारी छन कर आ रही है, उसमें एक पदाधिकारी पर मामले को दबाने के लिए दस लाख तक लेने के आरोप लग रहे है। अगर यह आरोप सही है, तो उपर वाला पदाधिकारी को किसी न किसी रुप में दंड अवष्य देगा, क्यों कि यह उन मौत के सौदागरों का बचाव कर रहे हैं, जिसने पैसे के लालच में गरीबों को मौत के मुंह में ढ़केल दिया।
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