पहले मजा लिया, मां बनाया, फिर छोड़ दिया!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- क्राइम
- Updated: 24 December, 2024 08:28
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पहले मजा लिया, मां बनाया, फिर छोड़ दिया!
-हवश की शिकार महिला डेढ़ माह की बच्ची लेकर कोर्ट कचहरी का चक्कर लगा रही
-दुबौलिया थाने पर भी महिला ठंड में बच्ची को लेकर गई, लेकिन थाने पर भी नहीं मिला न्याय
-महिला ने न्यायालय का खटखटाया दरवाजा, कहा अगर उसे पुलिस से न्याय नहीं मिला तो जज साहब अवष्य देंगे
-महिला ने कहा कि उसके सामने मरने के आलावा कोई रास्ता नहीं बचा, क्यों कि वह और उसके मां-बाप बहुत गरीब
बस्ती। आए दिन जिस तरह ग्रामीण परिवेश की महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के साथ शादी के नाम पर बलात्कार करने और फिर बाद में मजा लेकर छोड़ देने जैसी धोखेबाजी की घटनाएं सामने आ रही है, उसे पूरा समाज विचलित हो जाता। लोगों को समझ में नहीं आता इसमें गलती किसकी, मजा लेने वाले पुरुषों की या फिर धोखा खाने वाली महिलाओं की। इन दोनों के बीच जो सबसे अधिक दुखत पहलू पुलिस की भूमिका रही है। आकड़े अगर देखा जाए तो बलात्कार की शिकार महिलाएं अगर थाने में रिपोर्ट लिखाने जाती है, तो उनमें से शायद ही पांच फीसद पीड़ितों का एफआईआर लिखा जाता हैं, हैरानी तब और होती है, जब एसपी साहब के यहां से भी महिलाओं को न्याय नहीं मिलता। अब आ जाइए, न्यायालय, देखा जाए तो अधिकांश केस न्यायालय में इस लिए आते हैं, क्यों कि पुलिस उनका एफआईआर दर्ज नहीं करती। इस मामले में न्यायालय पर इतना अधिक लोड हैं, कि एक केस निपटाने में महीनों और साल तक लग जाते हैं, तब जाकर एफआईआर दर्ज करने का आदेष होता है। अब जरा अंदाजा लगाइए अगर किसी महिला को एफआईआर लिखाने में एक साल लग जाता है, उसका फैसला आने में कितना समय लगेगा, इसे आसानी से समझा जा सकता हैं। इसे न्यायालय की मजबूरी भी कही जा सकती है। लेकिन पीड़िता को उस दिन आधा न्याय मिल जाता है, जिस एफआईआर दर्ज करने का आदेष होता है। न्यायिक प्रक्रिया में जब तक एफआईआर दर्ज नहीं होगा, तब तक किसी पीड़िता को न्याय नहीं मिल सकता और ना ही बलात्कारी जेल में जाएगें, इसी का फायदा पुलिस उठाती है, पुलिस पर अधिकतर आरोपी को बचाने का आरोप लगता रहा हैं, इसे काफी हद तक सच भी माना जा सकता है। अगर किसी पीड़ित महिला को बलात्कार की आग में सालों जलना पड़े तो जाहिर सी बात उसका मनोबल टूट जाएगा, और वह जीवनलीला समाप्त करना ही अंतिम उपाया मान बैेठती है। ऐसे में अगर किसी पीड़िता को समाज की बदनामी के डर से जीवनलीला समाप्त करना पड़ता है, तो उसके लिए काफी हद तक पुलिस को ही जिम्मेदार माना जाता है। इसी तरह की एक लड़की डेढ़ की बच्ची को लेकर कोर्ट और कचहरी का चक्कर लगा रही है।
बलात्कार की शिकार एक लड़की ने न्यायालय से जो न्याय की गुहार लगाई है। उसमें कहा गया कि उसे तारीख याद नहीं हैं, गांव के सीवान में नीरज पुत्र राजेंद्र पांडेय नामक का लड़का मुझसे शादी का झूठा वादा करके मेरे साथ बलात्कार किया, बहलाफुसला उसे जनपद गोंडा के मैजापुर अपनी सौतेली मां के पास ले गया, वहां बलात्कार करता रहा। जब मुझे गर्भ रह गया तो मैने उससे शादी करने की बात की तो कहने लगा कि तुम जाति की कहार हो और हम लोग ब्राहमण हैं, शादी नहीं कर पाएगे। कहा नीरज और उसकी मां जबरदस्ती दवा पिलाकर गर्भपात कराकर बच्चे की हत्या करना चाहते थे, लेकिन मैं किसी तरह जान बचाकर भाग निकली। कहा कि नीरज और उसके घर वाले उसकी जिंदगी बर्बाद कर दिया, मेरे पास नीरज की डेढ़ माह की बच्ची है। कहा कि मेरे माता-पिता भी मुझे रखने को तैयार नहीं, ऐसे में मेरे पास करने के आलावा और कोई रास्ता नहीं। कहा कि पुलिस से वह शिकायत करते-करते हार गई, तब आप की शरण में आई हूं, मुझे न्याय चाहिए। जब नीरज के मोबाइल पर बात करने का प्रयास किया गया तो बंद मिला।
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