मंत्रीजी बताइए, क्यों नहीं डीआर और एआर ने डीसीबी में खाता खोला?

मंत्रीजी बताइए, क्यों नहीं डीआर और एआर ने डीसीबी में खाता खोला?

मंत्रीजी बताइए, क्यों नहीं डीआर और एआर ने डीसीबी में खाता खोला?

-डीसीबी बस्ती के चेयरमैन राजेंद्रनाथ तिवारी ने कहा बैक में जब एआर और डीआर का खाता तक नहीं तो बैंक कैसे तरक्की करेगा, सहकारिता की बैठक में निशाने पर रहे एआर और डीआर

-छह माह में सभी रिक्त पदों पर भर्ती होने की जानकारी दी गई, यानि छह माह बाद ग्राहकों को मिलेगी सेवा

-मंत्री ने कहा कि सहकारी बैंक के विकास में बाधा बनने वाले अधिकारी और कर्मचारी होगें दंडित

-बस्ती में हुए धान घोटाले का मामला भी उठा, कहा गया कि जब पीसीएफ के आरएम और डीएम पर कार्रवाई हो सकती है, तो डीआर और एआर पर क्यों नहीं?

-मंत्री ने कहा इसकी उच्च स्तरीय जांच होगी और कोई दोषी नहीं बचेगा, बस्ती के एक ही एसडीएम के द्वारा हजारों खतौनियों का सत्यापन को गंभीरता से लिया गया

-बताया गया कि सहकारी समितियों की जितनी भी जमीने हैं, उसे उनके नाम करने के लिए सभी डीएम को कहा गया

बस्ती। एक दिन पहले लखनऊ में हुए सहकारिता की बैठक में जिला सरकारी बैक के चेयरमैन राजेंद्रनाथ तिवारी के निशाने पर डीआर और एआर ही रहे। कहा कि दोनों अधिकारी सहकारिता के तरक्की के रास्ते में बाधक बने हुए है, इन्हीं दोनों के चलते धान घोटाला हुआ और इन्हीं दोनों अधिकारियों के चलते आरकेवीवाई का करोड़ों डूब गया। जोर देकर कहा कि मंत्रीजी जब बैंक में डीआर और एआर का खाता नहीं खुला है, तो अन्य क्यों खोलेगा, बैंक केसे तरक्की करेगा, जब डीआर और एआर कोई सहयोग ही नहीं कर रहे है। मंडल में सहकारिता को अंधकार में ढ़केलने के लिए यही दोनों अधिकारी जिम्मेदार है। कहा कि जब धान घोटाले में पीसीएफ के आरएम और डीएस के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो सकता है, डीएम बर्खास्त हो सकते हैं, आरएम निलंबित हो सकते हैं, तो क्योें नहीं डीआर और एआर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई? जबकि सही दोनों अधिकारी धान घोटाले के सूत्रधार है। मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा कि सहकारी बैंक के विकास में बाधा बनने वाले अधिकारी और कर्मचारी दंडित होगें, उच्च स्तरीय जांच होगी। कोई बचेगा नहीं। जब यह बताया गया कि बस्ती में एक ही एसडीएम के द्वारा चारों तहसीलों के हजारों खतौनियों का सत्यापन किया गया, तो इसे गंभीरता से लिया गया। धान क्रय केंद्रां का मामला भी उठा। बताया गया कि सहकारी समितियों की जितनी भी जमीने हैं, उसे उनके नाम करने के लिए सभी डीएम को पत्र लिखा गया है। जब नियुक्ति न होने से बैंक संचालित न होने की बात उठी तो कहा गया कि आगामी छह माह में सारी रिक्त पदों पर नियुक्ति हो जाएगी। श्रीतिवारी ने यह भी कहा कि सरकारी धन को बैंक में रखने पर लगी रोक के चलते बैंक नुकसान में जा रहा है। यह भी कहा कि उनके प्रयास से दस करोड़ मिला भी था, लेकिन रोक लगने के कारण वह भी हाथ से निकल गया। कहा गया कि अगर पार्टी अपने रिस्क पर पैसा बैंक में रखना चाहती तो रखे, इस पर कहा गया कि पार्टी क्यों रिस्क उठाएगी? यह सही है, कि मंडल में सहकारिता की जो दयनीय हालत हैं, उसके लिए काफी हद तक डीआर और एआर को जिम्मेदार माना जा रहा है। यह भी सही है, कि अगर यह दोनों अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाते तो मंडल और जिले में इतना बड़ा धान का घोटाला न होता। इसके लिए विभाग और विभागीय मंत्री को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। क्यों कि घोटाला तो उनके अधिकारियों और सचिवों ने किया, जिम्मेदारी तो लंनी ही पड़ेगी। अंत में जब मंत्रीजी से चेयरमैनों से यह पूछा कि कौन दुबारा चेयरमैन बनना चाहता है, तो बस्ती के चेयरमैन को छोड़कर अन्य सभी हाथ उठा दिया। इस पर मत्रीजी ने कहा कि कोई दुबारा चेयरमैन नहीं बनेगा, दूसरे को मौका दिया जाएगा।

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