कैसे हो पैथोलाजी पर कार्रवाई जब रखवाला पत्रकार हो!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- क्राइम
- Updated: 30 May, 2025 22:21
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कैसे हो पैथोलाजी पर कार्रवाई जब रखवाला पत्रकार हो!
-पैथोलाजी मालिक ने हनक बनाने के लिए रिपोर्टर को बना दिया कर्मचारी
-बाइक पर पत्रकार का स्टीकर लगाकर कस्बों और गांवों में घूम-घूमकर खून का नमूना ले रहे-पत्रकारिता का धौंस दिखा छोला छाप डाक्टरों से पैथालाजी में मरीज को भेजने को कहा जाता
-पत्रकार को हथियार बनाकर पैथोलाजी मनमानी जांच की कीमत वसूल रहें
-जब भी पैथोलाजी पर कोई कार्रवाई होती, पत्रकार साहब अखबार का डर दिखाकर कार्रवाई नहीं होने देते
बस्ती। किसी भी पत्रकार के लिए नौकरी करना कोई गलत नहीं, लेकिन अगर कोई पौथोलाजी का मालिक किसी बड़े अखबार के पत्रकार को अपने यहां नौकरी पर रखता हॅै, और उसे बचाव के हथियार के रुप में इस्तेमाल करता है, तो यह गलत है। किसी भी पत्रकार को किसी का भी हथियार नहीं बनना चाहिए। वैसे भी पत्रकार लोग काफी बदनाम हो चुके है। ऐसा ही एक मामला परशुरामपुर कस्बे में एक ऐसी पैथोलाजी का सामने आया है, जहां पर दबदबा बनाए रखने के लिए पैथोलाजी के संचालक ने एक बडे अखबार के रिपोर्टर को अपने पैथोलाजी में नियुक्ति कर दिया, अब यह बड़े बैनर वाले पत्रकार मोटरसाइकिल पर पत्रकार का स्टीकर लगाकर घूम-धूम छोला छाप डाक्टरों पर उनके पैथोलाजी में मरीजों को जांच के लिए भेजने का दबाव बना रहें, जो नहीं मानता उन पर पत्रकारिता और बैनर का रौब दिखाते है। पैथोलाजी और पत्रकार के गठजोड़ के चलते क्षेत्र के लोग परेषान है। पत्रकार की आड़ में मनमाना पैसा वसूल रहे है। जब भी कोई जांच टीम आती, पैथालाजी वाले पत्रकार को आगे कर देते है। चर्चा तो यहां तक है कि पैथोलाजी संचालक ने अपने पैसे से कस्वे मे संबन्धित अखबार की एजंेसी भी ले रखी है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि संबन्धित पैथोलाजी पर अन्य पैथौलाजी से ज्यादा कीमत वसूली जाती है, मरीजों के साथ इनका आचरण और व्योहार भी अच्छा नही है। क्षेत्र के कुछ अन्य पैथोलॉजी संचालकों से जब इस बारे में बात की गयी तो उन्होंने कहा कि कई बार संबंधित पैथोलॉजी पर जांच टीम जाती है, लेकिन पत्रकार के डर से कार्रवाई नहीं करती। जिले के अधिकारियो से शिकायत करने पर लेनदेन करके मामले को रफा दफा कर दिया जाता है। एक पैथोलॉजी संचालक ने यहां तक बताया कि जिले से जब जांच टीम चलती है तो संबंधित पैथोलॉजी के संचालक को इसकी खबर मिल जाती है। जिससे अधिकारियों के आने से पहले इनका शटर बंद हो जाता है।
अन्य पैथोलॉजी की तरह इनकी रिपोर्ट भी ठीक नहीं होती है। पैथोलॉजी पत्रकारिता तथा स्थानीय चिकित्सकों की गठजोड़ का खामियाजा क्षेत्र के गरीब मरीज को भुगतना पड़ता है। क्योंकि गांव क्षेत्र के गरीब मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के लिए जाते हैं। तो वहां पर सर्दी जुखाम बुखार जैसे रोगों से ग्रसित मरीजों को पन्द्रह सौ से दो हजार तक दवा लिख दी जाती है। जो बाहर से लेने में गरीब मरीजों की हिम्मत नहीं हो पाती। इसलिए गरीब मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के इस रवैये से आहत होकर कस्बे के झोलाछाप डॉक्टरों के पास पहुंचते हैं। तब उन्हें झोलाछाप चिकित्सक अपने चाल में फंसा कर मोटी रकम ऐठने के बाद खून व तथा मल मूत्र के जांच संबंधित पर्चा संबंधित पैथोलॉजी के यहां जांच करने के लिए लिख दिया करते है। कई लोगों का तो यह भी कहना है कि इस पैथोलॉजी पर एक्स-रे, ईसीजी की सुविधा भी मिल जाती है। एक्स-रे करने के बाद यहां के संचालक एक्स-रे देखकर बता देते हैं कि मरीज की कौन सी हड्डी टूटी है। और उस मरीज को प्लास्टर भी चढ़ा देते हैं। तथा दवा का पर्चा भी लिख देते हैं। यही नहीं कस्बे में इनका मेडिकल स्टोर भी है। दवा खरीदने का दबाव भी बनाते हैं। इनके द्वारा लिखी गई दवा सिर्फ इन्हीं के मेडिकल स्टोर पर मिलती। जो काफी महंगी होती है। इस तरह से गरीब मरीजों को दोहरा दंड झेलना पड़ता है। इस बारे में परशुरामपुर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर भास्कर यादव ने बताया कि झोलाछाप चिकित्सकों के विरुद्ध जिले स्तर पर टीम गठित की जा रही है। उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में जल्द ही झोलाछाप चिकित्सकों के विरुद्ध छापेमारी की जाएगी। यदि पैथोलॉजी सेंटर द्वारा एक्स-रे करने के बाद प्लास्टर लगाया जा रहा है और मरीजों को दवा लिखी जा रही हैं तो जांच करके संबंधित पैथोलॉजी के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी।
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