छह साल बच्ची के इज्जत की कीमत पांच रुपया

छह साल बच्ची के इज्जत की कीमत पांच रुपया

छह साल बच्ची के इज्जत की कीमत पांच रुपया

बस्ती। सबकुछ बदल जा रहा हैं, लेकिन दूषित मानसिकता नहीं बदल रही है। जो लोग खुद कई लड़कियों के पिता हैं, उनकी भी मानसिकता नहीं बदल रही है। नाबालिंग लड़कियों और मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों के साथ कानून तो अपना काम कर रहा हैं, लेकिन समाज के लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे है। आज भी गांव गढ़ी की बच्चियां सुरक्षित नहीं है। ना तो वह खुले आम कहीं जा सकती हैं, और ना ही कहीं खेल ही सकती है। क्यों कि भेड़िया रुपी इंसान ऐसे बच्चियों को दबोचने के लिए नजर गढ़ाए रहते है। सवाल उठ रहा हैं, कि गांव गढ़ी के माता-पिता आखिर कब तक अपनी मासूम बच्चियों की रखवाली करेगें। ऐसे बच्चियों को तो पिजड़े में बंद करके तो रखा नहीं जा सकता। जब गांव के लोग ही अपने गांव गढ़ी की बच्चियों का शिकार करते रहेगें तो कैसे उनकी इज्जत सुरक्षित रहेगी? यह एक ऐसा सवाल जिसका सबसे अधिक जबाव उन लोगों को ढूंढना होगा, जो दूषित मानसिकता के होते है। कहने को तो यह लोग कह देते हैं, बच्ची तो मेरी पोती और बेटी जैसी हैं, लेकिन जो लोग यह कहते हैं, वही लोग बच्चियों को अपना शिकार बनाते है। सवाल यह भी उठ रहा है, कि क्या बच्चियों की इज्जत इतनी सस्ती हो गई हैं, कि उसे पांच रुपये में भी खरीदा जा सकता है। इसी तरह का एक मामला दुबौलिया थाना क्षेत्र का सामने आया है। यहां के गंगाराम पुत्र रामप्रसाद नामक भेड़िये को गांव वालों ने पकड़ा जो एक छह साल की बच्ची को पांच रुपया का लालच देकर उसके साथ बलात्कार करना चाहता था, वह अपने मकसद में सफल भी हो जाता है, अगर बच्ची से शोर ना मचाया होता। दलित परिवार की बच्ची को उसके घर के पीछे लेकर जाकर बलात्कार करना चाहता था। पुलिस ने तो मुकदमा दर्ज कर लिया, लेकिन अब सवाल उठ रहा है, कि क्या मुकदमा दर्ज हो जाने से इस तरह की घटनाएं कम या फिर रुक सकती हैं, कानून तो सख्त होते जा रहे हैं, लेकिन घटनाएं कम नहीं हो रही है। इसके लिए समाज को ही आगे आना होगा। ऐसे लोगों का समाजिक बहिष्कार करना होगा।

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