चुल्लु भर पानी में विधायक को नहीं महिला को डूब मरना चाहिए!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- क्राइम
- Updated: 17 May, 2025 23:41
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चुल्लु भर पानी में विधायक को नहीं महिला को डूब मरना चाहिए!
-हर्रैया के विधायक अजय सिंह पर अकेले निशाना साधने वाली रोजगार सेवक को यह नहीं मालूम कि कर्मचारी आचरण संहिता के तहत जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाने का मतलब नौकरी से हाथ धोने जैसा
-रोजगार सेवक पूनम पांडेय बढ़िया नृत्यागना हो सकती है, यूटयूब चला सकती है, सड़क पर अपना रील बनाकर सोशल मीडिया पर टीआरपी बढ़ाने के लिए डाल सकती, लेकिन किसी विधायक पर सार्वजनिक रुप से आरोप नहीं लगा सकती
-एक तरह से महिला ने विधायक पर आरोप लगाकर अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मार लिया, राजनीति का शिकार महिला को तब अफसोस होगा, जब उसकी नौकरी पर आंच आएगी
-एक राजनीति साजिश के तहत महिला से विधायक पर आरोप लगवाया गया, क्यों कि विधायक का न तो जीतू वर्मा और न बंजर जमीन से कोई वास्ता नहीं
-विधायक ने खुद कहा कि वह आते ही बभनपुरा जाएगें और अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर में भी आर्थिक सहयोग करेंगे
-जितेंद्र वर्मा उर्फ जीतू वर्मा कोई दूध के धुले नहीं हैं, इन्होंने यह सारा खेल बंजर की जमीन पर कब्जा कर वहां मकान के सामने सहन बनाने के लिए किया, इन्हें रामप्रसाद चौधरी का करीबी माना जाता, चुनाव में इन्होंने मदद भी किया
बस्ती। एक दिन पहले हर्रैया के विधायक अजय सिंह पर कब्जा करने वालों को बचाने और विधायक को चुल्लू भर पानी में डूब मरने का वीडियो वायरल कर तहलका मचाने वाली रोजगार सेवक एवं नृत्यागना पूनम पांडेय की नौकरी खतरे में नजर आ रही है। इन्होंने जिस तरह कर्मचारी आचार संहिता का उल्लघंन कर विधायक पर आरोप लगाया है, उससे इनकी नौकरी भी जा सकती। राजनीति का शिकार हुई महिला को उस समय अपनी गलती का एहसास होगा, जब उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। महिला से आरोप लगवाया गया या फिर महिला ने प्रसिद्व पाने के लिए आरोप लगाया, यह चर्चा का विषय हो सकता है। लेकिन छानबीन में जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उसमें इस मामले में विधायक का दूर-दूर तक कोई रिष्ता नहीं प्रतीत हो रहा है। सवाल उठ रहा है, कि जिस जीतू वर्मा नामक व्यक्ति जिसने लोकसभा चुनाव में सपा के रामप्रसाद चौधरी की मदद की हो, और जो व्यक्ति खुद बंजर की जमीन पर कब्जा करके उस पर सहन बनवाने के लिए झोपड़ी डाल रखा हो। उस व्यक्ति की मदद क्यों और किस लिए विधायकजी करेगें? इस मामले को करीब से जानने वालों का कहना और मानना है, कि महिला ने जो भी आरोप लगाया, वह एक ऐसे प्रधान के कहने पर लगाया, जो हैं, तो भाजपाई लेकिन वह विधायकजी के भाजपा के सबसे बड़े विरोधी के खेमें का है। इसी लिए कहा जा रहा है, कि आरोप लगाया गया या फिर लगवाया गया? महिला को प्रधानजी का शुभचिंतक/खास माना जाता है। आरोप लगाने और विधायकजी को बदनाम करने की साजिष किसी और गांव के प्रधान के द्वारा रचने की बातें छनकर सामने आ रही है। क्यों कि जिस तरह महिला नृत्य के अंदाज में विधायक पर मंदिर के निर्माण में बाधा डालने वाले जितेद्र वर्मा उर्फ जीतू वर्मा की मदद करने की बात कहकर विधायकजी को चूल्लू भर पानी में डूब मरने की सलाह दे रही है। वह किसी भी हालत में एक रोजगार सेवक के डायलाग नहीं हो सकते। इसी लिए बार-बार कहा जा रहा है, कि इस फिल्म की स्क्रिप्ट किसी अन्य गांव के प्रधान के द्वारा तैयार की गई। गांव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक यह कह रहे हैं, कि इस मामले में दूर-दूर तक विधायकजी का कोई संबध नहीं है। बल्कि विधायकजी ने तो यहां तक कहा कि हर्रैया आते ही सबसे पहले वह दुबौलिया के बभनपुरा गांव जाएगें, और जिस तरह उन्होंने अन्य मंदिर के निर्माण और जीर्णोधार में आर्थिक सहायता दिया, उसी तरह काली मंदिर के निर्माण में भी मदद करेंगे। वैसे मंदिर का बाउंडीवाल बन कर तैयार हो गया है। हालांकि यह मंदिर भी बंजर की भूमि पर बना हुआ है। वर्माजी ने सोचा होगा कि मंदिर की तरह वह भी बंजर की जमीन पर हाथ साफ कर लें। इसके लिए उन्होंने छप्पर भी डाल दिया, ताकि जब मकान बने तो उसे सहन के रुप में इस्तेमाल किया जा सके। भक्तगण का बंजर की जमीन पर मंदिर का निर्माण कराना तो समझ में आता है, लेकिन वर्माजी का बंजर की जमीन पर कब्जा करना गांव वालों के समझ में नहीं आ रहा है।
माताजी के स्थान पर बंजर की थोड़ी जमीन छूटी थी, उसी जमीन के बगल में वर्माजी ने मकान बनवाने के लिए बैनामा करवा करवाया। वर्माजी इसी जमीन पर कब्जा करके सहन बनवाना चाह रहे थे, गांव वालांे ने मंदिर का विस्तार करके बाउंडीवाल बनवाना चाह रहे थे। पता नहीं कहां से पूनम पांडेय को यह लगा कि विधायकजी बाउंडीवाल का निर्माण रोकवाने के लिए तहसील और थाने पर दबाव बना रहे है। वायरल वीडियो के जरिए कहीं पर निगाहें और कहीं पर निषाना साधने का प्रयास किया गया। ध्यान देने वाली बात यह है, कि अकेले महिला नृत्य के अंदाज में विधायकजी पर आरोप पर आरोप लगा रही है। ऐसे मामलों में सबसे अधिक परेषानी मीडिया को झेलनी पड़ती है। मीडिया समझ नहीं पाती कि वायरल वीडियो सही है, या फिर इसके पीछे कुछ और सच है। इसका पता करने के लिए मीडिया के पास समय का अभाव रहता है, इसी लिए कभी-कभी भ्रमित खबर भी चली जाती है। भ्रमित खबरों का दुरुपयोग भी विरोधी खूब करते हैं, जैसा कि इस मामले में हुआ। बहरहाल, मीडिया को दोष देना किसी के लिए उचित नहीं होता। नेताओं में आजकल आपसी तनाव इतना बढ़ गया है, कि उसमें मीडिया पिस के रह जा रही है। सही रिपोटिगं नहीं हो पा रही है। लेकिन एक बात तो तय हैं, कि आगामी विधानसभा का चुनाव वही जीत पाएगा, जो अपने ही विरोधियों से पार पाएगा। खमरा बाहर के लोगों से कम और अंदर के लोगों से अधिक रहेगा। हर्रैया क्षेत्र में जो माहौल बन रहा है, उसके आसार अच्छे नजर नहीं आ रहे है। क्यों कि बात अब मान और सम्मान पर आ गई है। पहले टिकट के लिए मारामारी होेगी, किसी तरह मिल तो जीतने के लिए सबकुछ दांव पर लगाना होगा। उसके बाद भी कोई यह नहीं कह सकेगा कि जीत उसकी ही होगी। हार और जीत पूरी तरह भितरघातियों पर निर्भर रहेगा।
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