बिरादरी के नाम पर, नौकरी की भीख मांग रहें, एएमए!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- क्राइम
- Updated: 26 February, 2025 16:01
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बिरादरी के नाम पर, नौकरी की भीख मांग रहें, एएमए!
-पैसे के लालच में एएमए ने नौकरी को दांव पर लगाकर 50 लाख के भवन को 11 लाख में बेच दिया, अध्यक्ष तो किसी तरह बच जाएगें, लेकिन एएमए की नौकरी तक जा सकती, उसी को बचाने ने लिए यह गिल्लम चौधरी के सामने गिड़गिड़ा रहें
-सारे नियम कानून को तोड़ा, पैसा कमाने के लिए जिला पंचायत के सरकारी भवन तक को ही औने-पौने कीमत में बेच दिया
-फर्जी प्रस्ताव बनाकर अध्यक्ष और एएमए ने सरकार को लगाया लाखों का चूना, भवन की सरकारी लागत से कई गुना कम लगाई बोली, फर्जी प्रस्ताव का लिया सहारा
-टेंडर निकालना था 25.68 लाख का लेकिन निकाला पांच लाख का, और 11.50 लाख में बेच दिया, सौंदरीकरण में लगे 25 लाख भी वापस नहीं आया
-भवन तोड़ने से पहले जिला पंचायत ने भवन के निष्प्रयोजन का प्रमाण-पत्र भी पीडब्लूडी से नहीं लिया, बिना प्रमाण-पत्र लिए भवन को निष्प्रयोजित घोषित कर दिया
-जिला पंचायत की 15 फरवरी की बैठक में इसी मामले को लेकर हंगामा हुआ, क्यों कि अध्यक्ष और एएमए अच्छी तरह जानते थे, कि अगर सदस्यों को कार्रवाई रजिस्टर दिखाया गया, तो दोनों की चोरी पकड़ी जाएगी
बस्ती। अधिकारियों को अधिकारी बनकर ही रहना चाहिए, अगर कोई अधिकारी नेता बनने का प्रयास करता है, तो वह ना तो अधिकारी रह जाता हैं, और ना पूरी तरह नेता ही बन पाता, नुकसान अलग से होता, यह सच जिले की जनता रामनगर के बीडीओ कुलदीप के रुप में देख भी चुकी है। अब जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी विजय प्रकाश वर्मा के रुप देखा जा रहा है। इन्होंने ने भी नेता बनने का प्रयास किया, यह नेता तो नहीं बन पाए, लेकिन इन्होंने नेतागिरी में अपनी नौकरी को अवष्य दांव पर लगा दिया। हालत यह हैं, कि आज यह बिरादरी का हवाला देकर नौकरी की भीख मांगते फिर रहे हैं। जिस मकसद से इन्हें बस्ती लाया गया, वह मकसद पता नहीं पूरा हुआ कि नहीं, लेकिन भ्रष्टाचार में अवष्य यह फंस गए। इन्हें बिरादरी का मानकर इस लिए बस्ती लाया गया, ताकि यह कम से कम बिरादरी के नाते पिछले एएमए की तरह विरोध तो नहीं करेंगे। चोरी और बेईमानी में तो इन्होंने कोई विरोध नहीं किया, लेकिन अधिक विष्वास पात्र बनने और अधिक कमाई करने और कराने के चक्कर यह फंस अवष्य गए। हालत यह है, कि आज इनकी नौकरी दांव पर लगी हुई हैं, और इनके वह बिरादरी वाले काम नहीं आ रहे हैं, जिनके लिए इन्होंने अपनी नौकरी तक को दांव पर लगा दिया, बल्कि इनके वे बिरादरी वाले काम आ रहे हैं, जिनका इन्होंने नुकसान पहुंचाया। आज यह विरोधी गुट की अगुवाई करने वाले गिल्लम चौधरी से बिरादरी का हवाला देकर उनसे नौकरी की भीख मांग रहे हैं। भीख इस लिए मांग रहे हैं, क्यों कि गिल्लम चौधरी की जाल में एएमए बुरी तरह से फंस चुके है। गलती तो इन्होंने ऐसी की है, जिसकी कोई माफी नहीं है। क्यों कि इन्होंने जानबूझ और बहकावे में आकर जिला पंचायत के पुराने भवन को नियम विरुद्व तोड़वाकर एक तरह से नीजि लाभ के लिए उसे कौड़ियों के दाम में बेच दिया, कहा जाता है, कि जिसके बहकावे में इन्होंने अपनी नौकरी को दांव पर लगाया, आज उसकी कोई सुनने वाला नहीं है। एक साजिश के तहत और पैसा कमाने के लिए जिस तरह एएमए ने फर्जी प्रस्ताव के जरिए 50 लाख के भवन को साढ़े 11 लाख में बेचा, उसे लेकर यह फंसे हुएं है। नियमानुसार अगर किसी सरकारी भवन को निष्प्रयोजित घोषित करना होता है, तो संबधित विभाग को पीडब्लूडी से इस बात का प्रमाण-पत्र लेना होता है, कि भवन निष्प्रयोजित योग्य हैं, यानि भवन गिरने वाली है। प्रमाण-पत्र के साथ पीडब्लूडी भवन की लागत भी लगाती है। लेकिन इस मामले में जिला पंचायत ने पीडब्लूडी से कोई प्रमाण-पत्र ही नहीं लिया, वैल्यूवेशन तो करा लिया लेकिन निष्प्रयोजन का प्रमाण-पत्र नहीं लिया। वैल्यूवेशन के अनुसार इस भवन की लागत 25.68 लाख बताई गई, यानि जिला पंचायत किसी भी हालत में इस भवन का टेंडर 25.68 लाख से कम का नहीं निकाल सकता और ना उससे कम पर बेच ही सकता। लेकिन एएमए ने पैसा कमाने और कमवाने के लिए सारे नियमकानून को ताक पर रख दिया, 25.68 लाख के स्थान पर पांच लाख का टेडर निकाला, और 11.50 लाख में बेच दिया। टेंडर निकालने से पहले कार्रवाई रजिस्टर पर फर्जी प्रस्ताव बनाया गया, किसके प्रस्ताव पर टेंडर निकालने की प्रक्रिया अपनाई गई, इसकी जानकारी किसी भी जिला पंचायत सदस्यों को नहीं है। यह मामला जब 15 फरवरी 25 की बैठक में उठा तो एएमए और अध्यक्ष बगले झांकने लगे। जब कार्रवाई रजिस्टर की मांग की गई तो बैठक संपन्न होने का दावा करते हुए विकास भवन के सभागार से निकल गए। कहा जाता है, कि अगर विरोधी गुट के लोग इस मामले को दमदारी से उठा दिया तो अधिकारी से नेता बने एएमए की नौकरी पर आ सकती है। अगर कहीं बिरादरी के चक्कर में पड़कर दरियादिली दिखा दी तो बच जाएगें। विरोध करने वालों को इस बात का विषेश ख्याल रखना होगा, कि उनकी एक-एक हरकत पर मीडिया की नजर है, अगर इन्होंने बिरादरी वाला फारमूला अपनाया तो जो आज हीरो बने हुए हैं, कल मीडिया उन्हीं को विलेन ठहराने में देर नहीं लगाएगी। विरोधियों को बैठक को शून्य कराने पर तो जोर देना ही चाहिए, भवन गिराने के मामले में एएमए के खिलाफ भी कार्रवाई तेज करनी चाहिए। अगर किसी आरोप से बचना है, तो बिरादरी वाले हथियार को किनारे रखना होगा। क्यों कि जिला पंचायत के एएमए आसानी से पकड़ में नहीं आते है। यही वह एएमए हैं, जिन्होंने आते ही जिला पंचायत सदस्यों से वादा खिलाफी किया। कहना गलत नहीं होगा कि आज जो कुछ भी जिला पंचायत में हो रहा है, या फिर घटित हो रहा है, उसका एक कारण एएमए की तानाशाही रर्वैया है। यही कारण है, कि इनके कार्यकाल में इतना बड़ा बवाल हुआ, और जिसके चलते पूरा जिला पंचायत सवालों के कटघरें में खड़ा है।
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