भगवा वस्त्र धारण कर गिरजा यादव बना कालनेमि

भगवा वस्त्र धारण कर गिरजा यादव बना कालनेमि

भगवा वस्त्र धारण कर गिरजा यादव बना कालनेमि

  • -लालंगज की पुलिस और राजस्व टीम चाहती तो खूनी संर्घष रुक सकता था

बनकटी/बस्ती। बार-बार आयोजित थाना दिवसों पर फरियादी और पीड़ित सवाल खड़ कर रहे है। कहते हैं, कि जिस थाना दिवस में पुलिस और राजस्व की टीम किसी को न्याय न दिला सके उस थाना दिवस को आयोजित करने से क्या मतलब, यही कारण है, कि थाना दिवस और तहसील दिवसों को समाप्त करने की मांग उठने लगी है। कहना गलत नहीं होगा कि तमाशा बनकर रह गया, थाना और तहसील दिवस। थाना दिवस में लोगों को न्याय मिलने की सबसे अधिक उम्मीद रहती हैं, क्यों कि अधिकारी भी थाना दिवस में आने को कहते है। लेकिन जैसे ही पीड़ित और फरियादी थाना दिवस में जाता है, उसका भ्रम टूट जाता हैं। उसका विष्वास पुलिस और राजस्व विभाग से उठ जाता है। कहा भी जाता है, कि गरीबों को न्याय नहीं मिलेगा तो वह थाना दिवस क्यों जाएगा? वह थाना दिवस में जाने के बजाए किसी नेता के पास जाना बेहतर समता है। थाना दिवस में लोगों को कितना न्याय मिलता है, इसका सच देखना हो तो लालगंज थाने में आयोजित थाना दिवस में देखा जा सकता है। जमीनी रंजिश को लेकर दो पक्षों में मारपीट हो जाता है। एक पक्ष की हालत नाजुक बताई जा रही है। एक पक्ष गाँव छोड़ कर फरार है। इस मामले में पुलिस ने दोनों पक्ष को थाना समाधान दिवस में बुलाया था। लेकिन समाधान दिवस में बिलंब से आए एनटी कुदरहा बीर बहादुर सिंह के द्वारा कोई कारवाई न करने से यह जमीनी रंजिश खूनी रंजिष में बदल गया।  जानकारी के मुताबिक, पीड़ित ने यह जमीन गिरिजा के भाई से खरीदी है। जिस पर पुराना छप्पर था। अधिकारीयों के आदेशानुसार उस पर टिन सेड रख दी थी। रविवार की सुबह पांच बजे सोची समझी राजनीति के तहत गिरिजा, कल्पना, विनय, दीनानाथ शारदा, साधु, पंकज, प्रकाश, कांति, खुशी जो सब एक संयुक्त परिवार में ही निवास करते हैं लाठी डंडा कुल्हाड़ी ,सबल ,सरिया, हसिंया, गडासा तथा ईंट पत्थर से लैस गाली गुप्ता देते हुए मारपीट कर अधमरा करते हुए छाये हुए नये टीन सेड को पीट कर क्षतिग्रस्त कर दिया। उक्त लोगों द्वारा जानलेवा हमले में राम विक्रम, रंजना, कंचन, दूरपता को गंभीर चोटें आई हैं। जो ट्रामा सेंटर में जिंदगी और मौत से जूझ रहें हैं। समस्त दोषी घर छोड़कर फरार है। जानकारी के अनुसार गिरिजा के भाई के पास सिर्फ दो लड़कियां है। जो गिरिजा के आतंक से घर में नहीं रहने पाती। गिरिजा साधु के भेष में दबंग एवं अपराधी किस्म का आदमी है। स्कूली बच्चे आते- जाते समय साधु बाबा सीताराम कह कर बोलते हैं, यह पंचर बनाने के साथ-साथ महिलाओं को अमरुद खिलाकर बच्चा भी पैदा करवाते है। बवासीर, भगंदर शुगर की दवा भी देते हैं। इनका बड़ा लड़का दीनानाथ लालगंज थाने का चौकीदार है। दूसरा लड़का भी बडे पैमाने पर बिल्डिंग की दुकान करता है। अवैध कटिया कनेक्शन में पकड़ा भी गया था, जिसका जुर्माना हुआ था। अभी अवैध कटिया कनेक्शन चलाता है। छोटा लड़का विनय मनोरमा विद्यालय में गाड़ी चलाता है। तीन-चार माह पहले लालगंज बाजार में एक व्यसायी को भरे चौराहे पर गिरिजा मारपीटे थे। सूत्रों के अनुसार उपरोक्त लोगों के लोगों के नाम गैर जमानती वारंट हैं। जो प्रशासन को खुली चुनौती देकर सौ खून माफ की कहावत को चरितार्थ करते हुए खुला घुम रहे हैं। एक तरह से गिरिजा यादव मानवता को ताक पर रखते हुए भगवा वस़् धारण कर कालनेमि बना हुआ है।

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